दीपावली

मुझे राम मिला बड़ा हैरान सा
दुखी परेशान सा
खड़ा था अकेला
समझ नहीं आया झमेला
मैने, कहा भाई सुना है आज ही के दिन तुम वनवास से लौट कर अयोध्या आए थे
लोगों ने खुशी में दीपक जलाए थे
कहने लगा वो युग था त्रेता
अब तो मेरी सुध कोई नहीं लेता
हर घर में है लक्ष्मी का बोल बाला
मेरे जीवन में छाया अंधकार काला
कोई मुझे अपने घर नहीं बुलाता
कोई मेरे आने की खुशी नहीं मनाता
कोई मुझे पकवान नहीं खिलाता
लक्ष्मी मेरे चरणों में थी रहती
आज लोगों के खून में है बहती
अंधा किया इसने जग सारा
मुझसे किया जग ने किनारा
यह देख बह आयी मेरी अश्रु धारा
मैनें कहा आ चल मेरे साथ
ले आया मैं पकड़ कर उसका हाथ
मैंने कहा न हो तूँ उदास
जब तक चाहे रह मेरे पास
मैंने कहा खा लियो जो मैं खाऊँगा
खुद से पहले तुझे खिलाऊंगा
तेरे बिना लक्ष्मी मुझे नंही स्वीकार
भले बुरा लगे लक्ष्मी को मेरा व्यवहार
इच्छा उसकी रहे या जाए
राम के बिना कैसे दीपावली मनायें
लक्ष्मी के चक्कर में राम को न भुलाये
राम सनातन है, लक्ष्मी आए जाए
लक्ष्मी के बिना भी हैं राम, राम बिना लक्ष्मी का नहीं अस्तिव
राम को जीवन में उतारना है हर जीव का दायित्व
लक्ष्मी के पीछे न बौरायें
राम तत्व जीवन में अपनाये
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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